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बाबुल - लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2022

बाबुल तेरे आँगन में
बनकर कली मैं आई
थी प्यारी व मासूम मैं
दिल में बजी शहनाई।

उंगली तेरी पकड़ चली
बाबुल तेरी गोद में पली
ममता के झूले में झूली
फूलों की राह पर चली।

बाबुल तेरे आँगन की
मैं बन गई एक चिरैया
उड़ती साजन संग चली
छोड़ तेरी शीतल छैया।

अपने इंद्रधनुषी रंगों से
बाबुल घर सजाया था
इस घर का कोना-कोना
खुशबू से महकाया था।

चहकती मैं चिड़िया जैसी
ज़िन्दगी मस्तानी थी ऐसी
 धूप-छाँव की न हो चिंता
आशीष से हर काम बनता।
 
बाबुल मैं अब जाती हूँ
छोड़ तेरा प्यारा अंगना
एक लक्ष्मी घर आएगी
जब भाई बनेगा सजना।

मान उसे प्रतिरूप मेरा
सिर का ताज बना लेना
छोड़ बाबुल घर आएगी 
बाबुल उसके बन जाना।

सम्मान बढ़ जाएगा मेरा
तुम अंगना में जगह देना
उसको मुझसे भी ज़्यादा
पलकों पर तुम बैठा रखना।

बन जाना तुम एक मिसाल
कट जाए बेटियों का काल
बेटी जब  ससुराल जाएगी 
पति संग बाबुल भी पाएगी।

ऐसे हर बहू बेटी बन जाएगी 
मायके ससुराल भेद मिटाएगी 
बिछुड़न की पीड़ा न सताएगी 
बाबुल की चिंता भी मिटाएगी ।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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20 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Mar-2022 05:03 PM

बहुत खूबसूरत

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Dr. Arpita Agrawal

16-Mar-2022 09:30 PM

हार्दिक आभार सीमा जी 🥰

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Punam verma

16-Mar-2022 08:58 AM

Nice one

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Dr. Arpita Agrawal

16-Mar-2022 02:38 PM

शुक्रिया पूनम जी 😊

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Abhinav ji

16-Mar-2022 07:36 AM

Very nice

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Dr. Arpita Agrawal

16-Mar-2022 02:39 PM

हार्दिक आभार अभिनव जी 😊

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